
सनातन धर्म में नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना को समर्पित होते हैं। चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है, जिन्हें सृष्टि की रचयिता माना जाता है। माना जाता है कि देवी कूष्मांडा ने अपनी मंद मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड की रचना की थी। उनकी अष्टभुजाओं में शस्त्र, जपमाला और कमल सहित कई दिव्य वस्तुएं विराजमान होती हैं।
मां कूष्मांडा की पूजा कैसे करें?
1. ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें:
साधक को सूर्योदय से पहले उठकर शुद्ध जल से स्नान कर लेना चाहिए और मानसिक रूप से स्वयं को पूजा के लिए तैयार करना चाहिए।
2. पूजा स्थान की तैयारी:
घर के ईशान कोण या मंदिर में एक चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर मां कूष्मांडा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
3. पवित्र जल से शुद्धिकरण:
मूर्ति या चित्र पर गंगाजल या शुद्ध जल का छिड़काव करें।
4. पूजन सामग्री अर्पण करें:
देवी को रोली, चंदन, अक्षत, धूप-दीप, पुष्प, पीली मिठाई, पीले फल, वस्त्र आदि समर्पित करें।
5. मंत्र और पाठ:
देवी को प्रिय पीली मिठाई का भोग लगाएं। दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती करें और मन से क्षमा याचना के साथ प्रार्थना करें।
नवरात्रि चौथे दिन का शुभ रंग: पीला
देवी कूष्मांडा को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। इसलिए इस दिन पीले वस्त्र पहनें, पीले फूल चढ़ाएं, पीली मिठाई का भोग लगाएं। पीली चूड़ियां और पीले सिंदूर का उपयोग करें, यह रंग सुख-समृद्धि और ऊर्जा का प्रतीक है और मां की कृपा शीघ्र दिलाता है।
मां कूष्मांडा के चमत्कारी मंत्र
पूजन में नीचे दिए गए किसी भी एक मंत्र का श्रद्धा से जप करें:

बीज मंत्र:
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः
शक्तिप्रदायक मंत्र:
कूष्मांडा: ऐं ह्रीं देव्यै नमः
मंत्र जप कम से कम 11 या 108 बार करें। इससे मन, तन और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
पूजा में “न कष्टं न अशुभं मम” कहकर मां से आशीर्वाद मांगें। जितना संभव हो, दिन भर पीला फल/भोजन लें। ध्यान-योग में कुछ समय जरूर बिताएं।
मां कूष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन विशेष फलदायी मानी जाती है। इस दिन अगर विधिपूर्वक पूजा और मंत्रजाप किया जाए, तो जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का आगमन निश्चित होता है।
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